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जिंदगी के आखिरी दिनों में COVID 19 से संक्रमित रोगी की देखभाल

 जिंदगी के आखिरी दिनों में COVID 19 से संक्रमित रोगी की देखभाल

आपके परिवार का कोई व्यक्ति या दोस्त कोविड संक्रमित है और इसकी वजह से उसकी मौत होने की संभावना है तो आप किस तरह की अपेक्षा कर सकते हैं! क्या डॉक्टर या नर्स ने आपको यह जानकारी दी है कि आपके संक्रमित परिवारीजन या फिर दोस्त की हालत में गंभीर बदलाव हुए हैं? क्या आपको इस बात की फिक्र है कि आपके करीबी व्यक्ति की जिंदगी खतरे में है और वह महज कुछ दिन या घंटे के मेहमान हैं? ऐसी स्थिति किसी के भी जीवन में न आने पाए तो बेहतर है, लेकिन अगर ऐसा वक्त आ जाए तो क्या कुछ किया जा सकता है? यह जानना जरूरी है।

कोविड संक्रमित की गंभीर हालत के बीच उससे मिलने जाना यह सामान्य मुलाकात के मुकाबले बहुत पेचीदा मामला है। यह समझना जरूरी है कि ऐसे मरीज से कितनी बार मिला जा सकता है और मुलाकात का यह समय कितना हो सकता है? अगर आपको भी बुखार है या फिर सांस लेने में कठिनाई हो रही है। या फिर गले में खराश है या फिर खांसी आ रही है तो यह अहम है कि आप ऐसे गंभीर हालत वाले मरीज से मिलने से पहले किसी डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।

संक्रमित व्यक्ति से मिलने से पहले पीपीई किट जरूर पहनना चाहिए। पीपीई किट न सिर्फ आपकी बल्कि आपके आसपास के लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। यहां ये ध्यान देना जरूरी है कि अगर आपके किसी प्रिय व्यक्ति का संक्रमण गंभीर स्तर का है, तो ऐसी स्थिति में आप पीपीई किट को पहन कर भी उनसे मिलने नहीं जा सकते हैं। यकीनन यह स्थिति आपके लिए निराश करने वाली है, जबकि आपको मालूम है कि आपके उस पारिवारिक सदस्य या दोस्त की जिंदगी का कम ही समय बचा है। ऐसी स्थिति में आप वहां मौजूद कर्मचारी के फोन से वीडियो कॉल के जरिए बात कर सकते हैं। दूसरा विकल्प यह हो सकता है कि ऐसे मरीज के कमरे की खिड़की से आप उन्हें देख सकते हैं।

पीपीई एक तरह की महत्वपूर्ण सुरक्षा किट है। पीपीई किट में पूरे शरीर को ढकने के लिए प्लास्टिक का गाउन, दस्ताने, चेहरे का मास्क और चेहरे पर लगाने के लिए हेलमेट जैसी चीजें इसमें शामिल होती हैं। आप अपने प्रियजन से मिलने जाने के लिए पीपीई किट का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो मेडिकल स्टॉफ आपको बताएगा कि इस किट को किस तरह से पहना जाता है और इसे किस तरह से उतारा जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के दौरान आप को अपने हाथ सेनेटाइज करने हैं या फिर पानी और साबुन से हाथ धोना होगा। इस बारे में भी आपको बताया जाएगा।

आपका कोई प्रिय जीवन की अंतिम स्थिति में है तो निश्चित ही यह चिंता और भावुक करने वाला क्षण है। जब आप अपने पारिवारिक सदस्य या मित्र से मिलने के लिए जाने वाले हैं तो पहले ये सुनिश्चित कर लें कि मरीज की ताजा जानकारी डॉक्टर के पास होनी चाहिए, ताकि जब आप चिकित्सक से मिलें तो आपको मरीज के बारे में सही जानकारी उपलब्ध हो सके।

अगर आप अपने मरीज के बारे में कुछ जानकारी चाहते हैं या आपके मन में कोई प्रश्न है तो वहां मौजूद डॉक्टर या नर्स से इसे जरूर पूछें। सवाल पूछने के लिए जरा भी न हिचकिचाएं। आपका सवाल छोटा हो या बड़ा, यह अहम नहीं है। अगर आपको डॉक्टर या नर्स व्यस्त लग रहे हैं तो भी आप उनसे मरीज के बारे में जानकारी अवश्य लें और मन में आ रहे सवाल भी जरूर पूछें। यहां यह भी अहम है कि अपने परिवार के व्यक्ति या फिर दोस्त की देखभाल उनकी ख्वाहिश के मुताबिक करने को लेकर डॉक्टर या अस्पताल स्टॉफ की मदद करनी चाहिए।

हर मरीज की देखभाल उसकी इच्छा के मुताबिक हो, ये खासा अहम है, क्योंकि इसमें उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जरूरतें शामिल हो सकती हैं। अगर आपके परिवारीजन या दोस्त ने एडवांस केयर डायरेक्टिव दिया है, या फिर इसके संबंध में पहले ही अपनी इच्छा बता दी थी और आपको इसकी जानकारी है तो इसे अस्पताल के स्टॉफ से जरूर साझा करें।

कोविड 19 वायरस से गंभीर रूप से पीड़ित आपके परिवार का सदस्य या फिर आपका मित्र अपने घर पर है और उसके ठीक होने की उम्मीद कम ही है तो कुछ खासा हालात में वह आखिरी समय तक अपने घर में रह सकते हैं। हालांकि यह सब कुछ आपके क्षेत्र में मौजूद मेडिकल सुविधाओं और घर पर हो रही देखभाल पर भी निर्भर करता है।

कोविड 19 से संक्रमित किसी मरीज की देखभाल घर पर करने के लिए बड़े ध्यान से तैयारी करनी पड़ती है। डॉक्टर या फिर मेडिकल स्टॉफ आपको अपने प्रियजन की देखभाल करने के बारे में आपकी न सिर्फ सहायता करेंगे बल्कि आपको अपना समय भी देंगे। उनकी टीम को यह भी तय करना होगा कि मरीज को सभी जरूरी उपकरण उपलब्ध करवा दिए गए हैं या नहीं। मरीज को दवा देने के बारे में भी उन्हें आपको बता और सिखा देना चाहिए।

Covid Patient

अपना ख्याल रखें

यह एक गंभीर लेकिन तनावपूर्ण और थका देने वाला काम है। इस दौरान मन में घबराहट वाली भावना पैदा होती है। इसमें गुस्सा, हताशा और शोक शामिल होता है। आपके पास उपलब्ध जानकारी का प्रबंधन, सभी फैसले लेने के साथ ही परिवार के दूसरे सदस्यों की जरूरतों का ख्याल रखना, यह सारी स्थितियां आपके मन में हताशा के भाव को ज्यादा जटिल बना सकते हैं। यह एक मुश्किल दौर है और इससे निपटने के लिए नर्स या फिर किसी समाज सेवक से बातचीत करना आपके लिए बेहतर हो सकता है। धार्मिक या फिर अध्यात्मिक जरूरतों को पूरी करने के लिए किसी पुरोहित या पुजारी से मदद ले सकते है।

जब किसी भी व्यक्ति का अंतिम समय नजदीक होता है तो आपकी स्थिति विकट होती है। यह जानना कठिन होता है कि किसी भी व्यक्ति के लिए अंतिम बेला कब आएगी? यह सवाल अकसर लोग मेडिकल स्टॉफ से पूछते है। अहम बात यह है कि यह स्थिति हर किसी के लिए अलग होती है। कोविड 19 वायरस से ग्रस्त लोगों की हालत में बहुत जल्दी बदलाव देखने को मिलते हैं। मरीज में होने वाले कुछ सामान्य परिर्तन से आप उनकी हालत का अंदाजा लगा सकते हैं।

ऐसे मरीज में भ्रम और बेचैनी की स्थिति धीरे-धीरे और ज्यादा बढ़ सकती है। यह बेचैनी कराहने, किसी को पुकारने या फिर बिस्तर से निकलने की कोशिश के रूप में सामने आ सकती है। ऐसी स्थिति में कोशिश यह होनी चाहिए कि कोविड 19 से संक्रमित व्यक्ति जहां तक मुमकिन हो वह आरामदेह और सुरक्षित हालत में रहे। डॉक्टर संक्रमित व्यक्ति की उलझन कम करने के लिए इससे संबंधित दवा नियमित तौर से देने के लिए कह सकते हैं। इस बारे में अगर आपके मन में कोई सवाल है तो आप डॉक्टर या मेडिकल स्टॉफ से बात कर सकते हैं।

कोविड 19 वायरस से संक्रमित तमाम लोगों में सांस फूलने जैसी समस्या होती है। जीवन के अंतिम समय में सांस फूलने की अनुभूति को कम करने के लिए मार्फीन की थोड़ी-थोड़ी डोज़ लगातार देने की जरूरत पड़ती है। ऐसे वक्त में मरीज में जो दूसरे परिवर्तन आपको दिखाई दे सकते हैं उनमें रुक-रुक कर सांस लेना या फिर ‘घरघराहट’ की आवाज के साथ सांस लेने जैसे लक्षण शामिल हैं। मरीज में यह परिवर्तन आपको बेचैन कर सकते हैं या दुखद लग सकते हैं, लेकिन इससे मरीज को कोई खास परेशानी नहीं होती है।

कोविड 19 से संक्रमित लोगों को आमतौर पर तेज बुखार रहता है। आपके प्रियजन की देखभाल करने वाली नर्स उन्हें ठंडी पट्टी या जरूरत के मुताबिक दवाएं दे सकते हैं। यही नहीं, व्यक्ति में जैसे-जैसे संक्रमण का स्तर बढ़ता जाता है, खाने और पेय पदार्थों में उसकी रुचि कम होती चली जाती है। परिवार के लोगों के लिए यह अकसर परेशानी का सबब होता है, लेकिन मरीज को इससे कोई खास परेशानी नहीं होती है।

मरीज में जैसे-जैसे कमजोरी बढ़ती जाती है, वह ज्यादा सोने लगते हैं और कई बार बेहोश हो जाते हैं। मौत की प्रक्रिया में ऐसा होना आम सी बात है। चाहे उन्हें इस हालत से बचाने के लिए कोई दवा ही क्यों न दी जा रही हो। यह ध्यान रखना जरूरी है कि चाहे कोई मरीज जवाब दे सकने में मजबूर हो, लेकिन उसे आपकी हर बात सुनाई देती है। इसलिए ख्याल रखें कि मरीज के प्रति सौम्य औह सहानुभूतिपूर्ण आवाज अहम होती है। फिर चाहे वह वहां मौजूद व्यक्ति की आवाज हो या फिर फोन पर आने वाली आवाज हो।

सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ऐसे वक्त में अस्पताल में देखभाल का मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि मरीज जहां तक मुमकिन हो, आरामदेह स्थिति में रहे। डॉक्टर और नर्स मरीज पर बराबर नजर बनाए रखते हैं और बीमारी के गंभीर लक्षण आने पर उसे जरूरी दवाएं देते हैं। अगर आपको इस बारे में कोई सवाल पूछना है तो आप बेहिचक डॉक्टर या मेडिकल स्टॉफ से पूछ सकते हैं।

कोविड 19 के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए https://www.health.nsw.gov.au/Infectious/covid-19/Pages/default.aspx पर जा सकते हैं।

Varsha Saini

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