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पोटली मसाजः दर्द कर दे छू मंतर

 पोटली मसाजः दर्द कर दे छू मंतर

आज हर किसी की लाइफ बिजी है। रोज कई घंटे काम करने के बाद कंधा, कमर, एड़ियों और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है। काम के चक्कर में आप अकसर इस दर्द को नजरअंदाज कर देती हैं। या फिर कई बार पेन किलर या पैरासिटामॉल टैबलेट खाकर इस दर्द को दबाने का काम करती हैं। जाहिर बात है कि यह दर्द को दूर करने का स्थायी इलाज नहीं है। फिर इन दवाओं का साइड इफेक्ट भी है। ऐसे में बेहतर है कि आप पोटली मसाज ट्राई कीजिए। पोटली मसाज भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। दादी-नानी बरसों-बरस से इस पोटली मसाज पर भरोसा करती आई हैं। बाद में यह ज्ञान बिसर गया और इसकी जगह एलोपैथी की गोलियों ने ले लिया।

पोटली मसाज मांसपेशियों के दर्द में बहुत कारगर है और यह परमानेंट राहत देता है। पोटली मसाज में नमक से लेकर जड़ी-बूटियों तक का इस्तेमाल होता है। छोटे पत्थरों की भी पोटली बनाई जाती है। इसका इस्तेमाल ज्यादा दर्द के लिए करते हैं। इन सभी को गर्म रूप में ही इस्तेमाल किया जाता है। बस इतना गर्म कि शरीर न जले। गर्म पोटली का मसाज करने से बंद पोर्स खुल जाते हैं। मांसपेशियों में टूटन और सूजन में भी इससे बहुत आराम मिलता है। इस मसाज से तन को ही नहीं बल्कि मन को भी बहुत सुकून मिलता है।

कैसे बनाते हैं हर्बल ऑयल

पोटली मसाज में हर्बल ऑयल का इस्तेमाल होता है। इसे खास तरह से बनाया जाता है। पहले आपको इसके बारे में बताते हैं। हर्बल ऑयल तैयार करने के लिए नारियल या तिल का तेल उपयोग में लाया जाता है। तेल को किसी पैन में डालकर गर्म करें। फिर इस गर्म तेल में एलोवेरा, अश्वगंधा, नीम की पत्तियां, मेंहदी, हल्दी, सरसों के दाने, अदरख, सूखा चावल और प्याज डाल दें। इसे हल्की आंच में कुछ देर पकने दें। इसमें डाली गई जड़ी बूटियों को जलने से पहले ही गैस बंद कर दें। जब यह तेल ठंडा हो जाए तो इसे किसी कांच की बोतल में भर दें। तकरीबन एक हफ्ते के लिए इस तेल को धूप में रख दें। इससे तेल में धूप के गुण समा जाएंगे। आपका तेल तैयार है।

अगर यह सब जड़ी-बूटी नहीं जमा कर सकती हैं तो सिर्फ अज्वाइन और लहसुन का इस्तेमाल कर सकती हैं। इस तेल को ही गर्म रेत में मिलाकर शरीर के तमाम हिस्सों पर मसाज करते हैं। कुछ खास तरह के मसाज में कुछ दूसरी तरह का हर्बल ऑयल यूज किया जाता है।

यूं तो पोटली मसाज शरीर के तकरीबन सभी हिस्सों में कारगर है, लेकिन कुछ भाग ऐसे हैं जहां थकान ज्यादा होती है। वर्क और बॉडी प्रेशर ज्यादा पड़ने की वजह से वहां की मसल्स भी ज्यादा थकती हैं। इसकी वजह से इन हिस्सों में दुखन होती है। आपको बताते हैं कि पोटली मसाज शरीर के किन हिस्सों के लिए मुफीद हो सकती है…

स्किन के लिए मुफीद

सबसे पहले बात स्किन की करते हैं। स्किन के लिए पोटली मसाज बहुत लाभप्रद है। इसके लिए नारियल या तिल का तेल गर्म कर लें। फिर इसमें नीम की पत्ती और खड़ी सरसों को मिला दें। इसके बाद इसे रेत के साथ मिक्स कर लें। इस मिक्सचर को मलमल या सूती कपड़े में रखकर पोटली सी बना लें। इस पोटली को धागे से बांध लें ताकि गर्म मिक्सचर शरीर पर न गिरने पाए। इस गर्म पोटली को शरीर के विभिन्न हिस्सों पर कुछ-कुछ देर के लिए रखते हैं। इससे काफी लाभ मिलता है। आप महसूस करेंगी कि दर्द और थकान धीरे-धीरे विलीन होता जा रहा है। इस मसाज से चेहरे पर भी निखार आता है।

जोड़ों के दर्द में फायदेमंद

आजकल जोड़ों में दर्द आम समस्या है। हर्बल ऑयल को गर्म रेत में मिला लें। फिर इसको सूती या मलमल के कपड़े में बांध लें। इस गर्म पोटली को घुटनों पर रखें। कुछ देर रखने के बाद इसे हटा लें। ऐसा कई बार करना है। पोटली के मसाज से उस जगह पर खून का दौरान बढ़ जाता है। इससे सूजन और जकड़न से राहत मिलती है। आप पाएंगी कि आपको दर्द में राहत मिल रही है।

एंकल पेन में राहत

ऊंची हील के जूते या सैंडल पहनना आम बात है। इससे एड़ियों में दर्द होने लगता है। कई बार ऊंची हील की वजह से आप गिर भी जाती हैं। इससे पैरों में सूजन आ जाती है और दर्द होता है। इस पोटली को दर्द की जगह पर रखें। अगर एड़ी में दर्द है तो वहां पर इसे कुछ देर दबाकर रखें। कुछ देर बाद आप पाएंगी कि इससे आपको आराम मिल रहा है।

Potli Massage

प्राचीन चिकित्सा पद्धति में कई तरह की पोटली प्रयोग में लाई जाती थी। आपको कुछ खास पोटली के बारे में बताते हैं…

सेंधा नमक की पोटली

हर्बल ऑयल की पोटली मसाज के अलावा भी कई दूसरी तरह से पोटली बनाते हैं। सबसे आम मसाज पोटली है सेंधा या लाहौरी नमक की। इसे तैयार करने के लिए तिल के तेल में लहसुन, अजवाइन और मेथी दाना को धीमी आंच पर पका लें। इसके बाद इस गर्म तेल को सेंधा नमक में अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इस नमक को कपड़े में रखकर ठीक से बांध लें। इस पोटली से पुराने दर्द पर धीरे-धीरे मसाज करें। दर्द से राहत मिलेगी। इससे पेट और कमर पर भी मसाज कर सकते हैं। इससे वजन भी कम होता है।

चावल की पोटली

इस पोटली को बनाने के लिए नजावरा नाम से जाना जाने वाला खास चावल इस्तेमाल किया जाता है। यह एक औषधीय चावल है। इस चावल को दूध में पकाया जाता है। फिर इसमें जड़ी-बूटियां मिलाई जाती हैं। इस गर्म चावल को पोटली में बांध लिया जाता है। जिस जगह पर मांसपेशियों की टूटन से स्वैलिंग या दर्द है, वहां पर इससे मसाज कीजिए। बहुत जल्द आराम मिलेगा।

हर्बल पोटली

इसमें जड़ी-बूटियों और पत्तियों की पोटली बनाई जाती है। पोटली बनाने के लिए नारियल या तिल के तेल में कुछ देर तक जड़ी-बूटियों और पत्तियों को पकाया जाता है। इन गर्म जड़ी-बूटियों की पोटली बना ली जाती है। इस पोटली से दर्द और सूजन वाली जगह पर मसाज कीजिए। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और सूजन कम होती है। जल्द ही दर्द से राहत मिलती है।

पत्थर वाली पोटली

यह पोटली बहुत ही आम है। नदी और समुंदर के किनारे मिलने वाले छोटे गोल पत्थरों को चूल्हे पर रखकर गर्म कर लिया जाता है। इसे ज्यादा गर्म नहीं करते हैं, वरना यह कपड़े को जला देता है। इस पत्थर की पोटली बनाकर सूजन और दर्द वाली जगह पर हल्के हाथ से लगातार मसाज करते हैं। इस मसाज को कुछ दिन करने सूजन खत्म हो जाती है और दर्द से राहत मिलती है।

Gaurav Malhotra

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